Sambandh Ka Ke Ki

Himanshu Bhagat

A conversation on books, conducted in Hindi. read less
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एपिसोड 21: 'द रिपब्लिक रीलर्न्ट − रीन्यूइंग इंडियन डेमोक्रेसी − 1947 टू 2024' − राधा कुमार
16-09-2024
एपिसोड 21: 'द रिपब्लिक रीलर्न्ट − रीन्यूइंग इंडियन डेमोक्रेसी − 1947 टू 2024' − राधा कुमार
अपनी किताब में राधा कुमार कहती हैं कि भारत में पहले गणराज्य की स्थापना हुई थी १९४७ में, जब देश को आज़ादी मिली। वे ये भी कहती हैं कि २०१९ में − जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दोबारा एन. डी. ए. (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन) की सरकार सत्ता में आई − तब भारत में 'सेकंड रिपब्लिक', यानी दूसरे गणराज्य की स्थापाना हो गई। वो इसलिए, क्योंकि इस प्रशासन के लक्ष्य, और उन लक्ष्यों को हासिल करने के तरीकों, का भारत के संविधान से वास्ता कम था। ये एक गंभीर आरोप है। राधा कुमार क्यों और किन तथ्यों के आधार पर ऐसा मानती हैं, ये जानने के लिए आप पढ़ सकते हैं उनकी पुस्तक 'द रिपब्लिक रीलर्न्ट − रीन्यूइंग इंडियन डेमोक्रेसी − 1947 टू 2024'। (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।) एक्स (ट्विटर) पर राधा कुमार  'द रिपब्लिक रीलर्न्ट’ अमेज़न पर राधा कुमार की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)
एपिसोड 20: 'द पावर प्लांट − फ़्रैगमेन्ट्स इन टाइम' − रवि अगरवाल
02-08-2024
एपिसोड 20: 'द पावर प्लांट − फ़्रैगमेन्ट्स इन टाइम' − रवि अगरवाल
दिल्ली में महात्मा गाँधी की समाधी 'राजघाट' के निकट यमुना नदी के तट से सटा एक पावर प्लांट हुआ करता था जिसका उद्घटान पंडित जवाहरलाल नेहरू ने १९६३ में किया था। पचास साल से ऊपर देश की राजधानी को बिजली प्रदान करने के बाद इस बिजली घर को बंद कर दिया गया। कारण था, शहर में प्रदुषण का प्रकोप, जिसमे योगदान था इसके चिमनियों से निकलते कोयले के धुंए का। रवि अगरवाल तेरह साल की उम्र में ही, हाथ में कैमरा लिए, इस बिजली घर के इर्द-गिर्द घूम चुके थे। इसके बंद होने के कुछ समय बाद रवि − अब एक जानेमाने पर्यावरण कार्यकर्ता और कलाकार की हैसियत से − कैमरों से लैस, इस वीरान कारखाने के अंदर अकेले गए और वहाँ चार दिनों के अंदर कई तस्वीरें उतारी। उन तस्वीरों का संकलन है, उनकी 'फोटो बुक', यानी तस्वीरों की किताब, 'द पावर प्लांट − फ़्रैगमेन्ट्स इन टाइम'। आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं। 1.  फेसबुक पर रवि अगरवाल 2. इंस्टग्राम पर रवि अगरवाल 3. रवि अगरवाल का वेबसाइट 4. 'द पावर प्लांट -- फ़्रैगमेन्ट्स इन टाइम', रवि अगरवाल की वेबसाइट पर 5. रवि द्वारा लिखी गई अन्य पुस्तकें व लेख रवि अगरवाल की वेबसाइट पर 6. 'दिल्ली रिज' के बचाव पर रवि का लेख 7.  गांधीजी और 'क्लाइमेट चेंज' पर रवि का लेख (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)
एपिसोड 19: 'द कलर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' − नंदिता हक्सर
11-07-2024
एपिसोड 19: 'द कलर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' − नंदिता हक्सर
नंदिता हक्सर का जन्म नए-नए आज़ाद भारत के एक कुलीन परिवार में हुआ। उनके पिता आला सरकारी अफसर थे और नेहरू परिवार से उनके करीबी रिश्ते थे। मगर, कम उम्र से ही सत्ता से दूरी रखते हुए, नंदिता ने वक़ालत की पढ़ाई की और एक मानवाधिकार कार्यकर्ता बन गईं। आज़ादी के सात साल बाद जन्मी नंदिता के सपनों का भारत, सदैव पंडित नेहरू के समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष आदर्शों का भारत रहा है। इन आदर्शों से प्रेरित हो, वे मानवाधिकार-हनन से पीड़ित भारतियों को न्याय दिलाने के काम में जुट गईं − चाहे वो हिंसा के साये में रहते भयभीत अल्पसंख्यक हों, सैनिक-शासन जैसे हालात के चपेट में आए पूर्वोत्तर के नागा निवासी हों, या गरीबी और भुखमरी से ग्रस्त आदिवासी हों। नंदिता हक्सर के इस लम्बे सफर की दास्ताँ है उनका संस्मरण, 'द कलर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' यानी 'राष्ट्रवाद के रंग। (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।) 1. 'द कलर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' अमेज़न पर   2. 'द फ्लेवर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' अमेज़न पर   3. 'फ्रेम्ड ऐज़ अ टेररिस्ट' अमेज़न पर 4. नंदिता हक्सर की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)
एपिसोड 18: 'कास्ट प्राइड − बैटल्स फॉर इक्वालिटी इन हिन्दू इंडिया' − मनोज मित्ता
09-06-2024
एपिसोड 18: 'कास्ट प्राइड − बैटल्स फॉर इक्वालिटी इन हिन्दू इंडिया' − मनोज मित्ता
११ जून १९९७ को मुंबई के घाटकोपर इलाके के रमाबाई नगर नाम के बस्ती में, पुलिस ने १० दलितों की गोली मर के हत्या कर दी। बस्ती में बाबासाहेब आंबेडकर की मूर्ति को किसी ने चप्पल की माला पहना दी थी और वहाँ के दलित निवासी इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। वहीं, १५ जून २००२ को, हरयाणा में दुलीना नाम के कस्बे में 'गोरक्षक' पाँच घायल दलितों को पुलिस चौकी में लाते हैं और गोहत्या के 'जुर्म' में उनको पीट-पीट कर मार देते हैं। पुलिस-कर्मी तमाशा देखते रहते हैं। क्यों था पुलिस का रवैया इतना फ़र्क, इन दोनो वाकयों में? जवाब आपको मिलेगा, मनोज मित्ता की किताब 'कास्ट प्राइड − बैटल्स फॉर इक्वालिटी इन हिन्दू इंडिया' में। पिछले २०० सालों में, हिंदुस्तान में जाति-प्रथा और समाज में उसके प्रभाव को ले के बने क़ानूनों की कहानी है 'कास्ट प्राइड'। (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।) 1.      'कास्ट प्राइड' अमेज़न पर 2.      मनोज मित्ता की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)
एपिसोड 17: 'बीइंग हिन्दू, बीइंग इंडियन' − वन्या वैदेही भार्गव
10-05-2024
एपिसोड 17: 'बीइंग हिन्दू, बीइंग इंडियन' − वन्या वैदेही भार्गव
अंग्रेजी हुकूमत के पुलिस के डंडों के निर्मम प्रहार ने लाला लाजपत राय की जान ले ली। इसका बदला लेने के लिए भगत सिंह और राजगुरु ने अंग्रेजी पुलिस अफसर जे. पी. सॉन्डर्स की गोली मार के हत्या कर दी, और फांसी पर चढ़ के देश के लिए शहीद हो गए। आज, लाला लाजपत राय की स्मृति शायद भगत सिंह के स्मृति के साये में रह गयी है। मगर लाजपत राय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, राज नेता, विचारक, और लेखक थे। वे आज़ाद भारत के निर्माताओं में से एक थे। हिन्दू समाज के सशक्तिकरण की बात करने वाले लाजपत राय, एक कट्टर 'सेक्युलर' यानी धर्मनिरपेक्ष थे। ये बातें बड़ी स्पष्टता से उजागर होती हैं, वन्या वैदेही भार्गव की किताब 'बीइंग हिन्दू, बीइंग इंडियन' में — जो लाजपत राय के उभरते और बदलते सोच, विचारों और सिद्धांतों की जीवनी है। (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।) 1. इंस्टाग्राम पर वन्या वैदेही भार्गव   2. एक्स (ट्विटर) पर वन्या वैदेही भार्गव   3. फेसबुक पर वन्या वैदेही भार्गव 4. 'बीइंग हिन्दू, बीइंग इंडियन' अमेज़न पर 5. द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ़ लाला लाजपत राय अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)
एपिसोड 16: 'द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' — राहुल रामगुंडम
10-04-2024
एपिसोड 16: 'द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' — राहुल रामगुंडम
जॉर्ज फर्नांडेस की छवि है, एक निर्भीक, प्रखर, बेबाक नेता की जिसने अपना राजनितिक सफर आरम्भ किया मात्र १९ वर्ष की उम्र में, समाजवाद के आदर्शों से प्रेरित हो, कामगारों के हक़ की लड़ाई लड़ते हुए। और, साठ वर्ष पश्चात, उस सफर का अंत किया उन हिन्दूवादी राजनितिक ताकतों से पूरी तरह जुड़े हुए, जो भारत के राजनैतिक नक़्शे पर छाये हुए थे। एक अति-साधारण युवा जिसने सत्ता को निर्भीकता से ललकारा और उससे लोहा लिया, और एक वरिष्ठ राजनेता जो कई वर्षों तक स्वयं सत्ताधारी रहा — इन दो चरणों और उनके बीच की कहानी आपको मिलेगी, राहुल रामगुंडम की किताब 'द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' में।  आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं। 1.       ट्विटर पर राहुल रामगुंडम 2.      'द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' अमेज़न पर 3.      राहुल रामगुंडम द्वारा लिखी गईं अन्य पुस्तकें अमेज़न पर 4.      'द मेनी शेड्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' — 'द सीन एंड द अनसीन' पॉडकास्ट पर एक चर्चा 5.      'फ्रीडम ऐट मिडनाईट' — लेखक लैरी कॉलिंस व डॉमिनिक ला पीयेर — अमेज़न पर 6.      'इज़ पैरिस बर्निंग' — लेखक लैरी कॉलिंस व डॉमिनिक ला पीयेर — अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)
एपिसोड 15: 'द डायरी ऑफ़ गुल मोहम्मद' – हुमरा कुरैशी
14-03-2024
एपिसोड 15: 'द डायरी ऑफ़ गुल मोहम्मद' – हुमरा कुरैशी
चौदह-वर्षीय गुल मुहम्मद अपने माँ-बाप, दादी, और भाई गुलज़ार के साथ स्रीनगर में रहता है। साल २०१६ है, और हालात ठीक नहीं हैं। पिता का शॉल बेचने का काम है, मगर शॉल खरीदने वाले ग्राहक बचे ही नहीं हैं। फिर, गुल मुहम्मद के भाई गुलज़ार की एक आँख में सुरक्षा-कर्मियों के बन्दूक से दागे छर्रे लगते हैं और उस आँख की रौशनी ख़त्म हो जाती है। बिगड़ते हालात और आर्थिक तंगी से परेशान, गुल मुहम्मद के घर वाले उसको दिल्ली के एक मदरसे में भेज देते हैं, जहाँ से शुरू होता है उसके एक शहर से दुसरे कस्बे भटकने का सिलसिला, जिसका कोई अंत नहीं दिखता है। अगस्त २०१६ से सितम्बर २०१७ के बीच घटी अपनी आप-बीती का विवरण गुल मोहम्मद एक डायरी में लिखता जाता है। यही डायरी है, वरिष्ठ लेखक हुमरा कुरैशी का उपन्यास, 'द डायरी ऑफ़ गुल मोहम्मद'।  आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं। 1.  इंस्टाग्राम पर हुमरा क़ुरैशी     2.  'द डायरी ऑफ़ गुल मोहम्मद' अमेज़न पर 3.  हुमरा क़ुरैशी द्वारा लिखी गईं अन्य पुस्तकें अमेज़न पर 4.  'काशीर — बींग अ हिस्ट्री ऑफ़ कश्मीर फ्रॉम द अरलिएस्ट टाइम्स टू आवर ओन' अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)
एपिसोड 14: 'सिटी ऑन फायर – अ बॉयहुड इन अलीगढ़' – ज़ेयाद मसरूर खान
17-02-2024
एपिसोड 14: 'सिटी ऑन फायर – अ बॉयहुड इन अलीगढ़' – ज़ेयाद मसरूर खान
ज़ेयाद मसरूर खान की किताब 'सिटी ऑन फायर--अ बॉयहुड इन अलीगढ़' उनके अलीगढ़ के पुराने इलाके, ऊपर कोट, में पलने-बढ़ने की कहानी है। उत्तर प्रदेश के शहर अलीगढ़ के इस कोने में, हिन्दू और मुसलमान एक दुसरे के अगल-बगल पुराने समय से रह रहे हैं। और शायद, हमको ये सुनके बहुत आश्चर्य नहीं होगा कि हिन्दू-मुस्लिम दंगे भी यहाँ समय-समय पर होते रहे हैं। इसी सांप्रदायिक तनाव—जो जब-तब जानलेवा हिंसा का रूप ले लेता था—के बीच में बीते बचपन, किशोरावस्था, और जवानी के पहले-पहले सालों का ज्वलंत और जीवंत विवरण है 'सिटी ऑन फायर'। आप शो-नोट्स sambandh-kakeki.com पर भी देख सकते हैं। 1.  एक्स (ट्विटर) और इंस्टाग्राम पर ज़ेयाद खान 2.  अमेज़न पर 'सिटी ऑन फायर–अ बॉयहुड इन अलीगढ़' 3.  अमेज़न पर पॉल ब्रास की किताबें ‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।
एपिसोड 13: 'स्टार्री स्टार्री नाईट' – नंदिता बासु
31-01-2024
एपिसोड 13: 'स्टार्री स्टार्री नाईट' – नंदिता बासु
अपनी माँ के देहांत के बाद, कुनाल पहाड़ों में स्थित बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने आता है, और वहाँ पहले कुछ महीने अपनी 'आंटी' तारा के साथ ठहरता है। तारा उसी स्कूल में म्यूज़िक टीचर है और वो खुद अभी तक अपनी प्रिय सखी, नीसा, के मौत से उबरी नहीं है। अपने प्रियजनों की मृत्यु से शोकागुल दो लोगों की कहानी है, लेखक नंदिता बासु की कृति, 'स्टार्री स्टार्री नाईट', यानि 'तारों से जगमगाती रात'। ये उपन्यास एक 'ग्राफ़िक नॉवेल' है, अर्थात चित्र-कथा या कॉमिक-बुक शैली में लिखी गई है। टीवी और वीडियो गेम्स या ऑनलाइन गेमिंग के ज़माने से पहले बच्चे कॉमिक्स पढ़ते थे। फिर वही बच्चे बड़े हो गए और उन्होंने कॉमिक्स की शैली में वयस्कों के लिए किताबें लिखनी और पढ़नी शुरू कर दी। कॉमिक्स को अब 'ग्राफ़िक नावेल' कहा जाने लगा। आइये थोड़ी बात करते हैं नंदिता बासु के साथ 'स्टार्री स्टार्री नाईट' पर। आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं। 1.  इंस्टाग्राम पर नंदिता बासु 2. 'स्टार्री स्टार्री नाईट' अमेज़न पर 3. नंदिता बासु द्वारा लिखी गईं अन्य पुस्तकें अमेज़न पर 4. सारनाथ बनर्जी की पुस्तकें अमेज़न पर 5. 'डेल्ही काम', लेखक विश्वज्योति घोष (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)
एपिसोड 11: 'नार्थ-ईस्ट इंडिया – अ पोलिटिकल हिस्ट्री' – सम्राट चौधरी
25-01-2024
एपिसोड 11: 'नार्थ-ईस्ट इंडिया – अ पोलिटिकल हिस्ट्री' – सम्राट चौधरी
जब १९८० के दशक में सम्राट चौधरी मेघालय की राजधानी शिलांग में पल-बढ़ रहे थे तो वहाँ के विधान-सभा भवन के दीवार पर किसी ने बड़े अक्षरों में लिख दिया था 'खासी बाय ब्लड, इंडियन बाय एक्सीडेंट'। मतलब -- 'मेरी पहचान, मेरा नस्ल, खासी है; हिंदुस्तानी तो महज इत्तेफ़ाक़ से हूँ।' जब उनके दोस्त नागालैंड या मणिपुर से कलकत्ता, दिल्ली, या मुंबई आ रहे होते थे तो वे कहते थे, 'हम इंडिया जा रहे हैं।' पूर्वोत्तर भारत के उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी के राजनितिक इतिहास को हम दो भागों में बाँट सकते हैं। पहला भाग -- अंग्रेज़ी हुकूमत द्वारा इस क्षेत्र को भारत से जोड़ने का प्रयास। और, दूसरा भाग -- स्वतंत्र भारत में इस क्षेत्र के भारत से अलग होने के प्रयास। ये इतिहास लिखा है सम्राट ने अपनी विस्तृत मगर सुगम पुस्तक 'नार्थ-ईस्ट इंडिया -- अ पोलिटिकल हिस्ट्री' में। आइये सुनते हैं एक चर्चा उनकी किताब पर, सम्राट चौधरी के साथ। (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।) एक्स (ट्विटर) पर सम्राट चौधरी सम्राट चौधरी का वेबसाइट 'नार्थ-ईस्ट इंडिया -- अ पोलिटिकल हिस्ट्री' अमेज़न परसम्राट चौधरी द्वारा लिखी गईं अन्य पुस्तकें अमेज़न परपॉडकास्ट में चर्चा की गई अन्य पुस्तकें -- हिस्ट्री ऑफ़ धर्मशास्त्र, लेखक पांडुरंग वामन काणेधर्मशास्त्र का इतिहास, लेखक पांडुरंग वामन काणे ‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।
एपिसोड 12: 'उर्दू – द बेस्ट स्टोरीज़ ऑफ़ आवर टाइम्स' – रक्षंदा जलील
17-01-2024
एपिसोड 12: 'उर्दू – द बेस्ट स्टोरीज़ ऑफ़ आवर टाइम्स' – रक्षंदा जलील
अगर कहीं उर्दू भाषा का ज़िक्र हो जाय, तो लोग उसकी तारीफ़ तो करते हैं, मगर अक्सर लगता है कि ये उर्दू-प्रेम महज शब्दों तक सीमित है। डॉक्टर रक्षंदा जलील अपनी किताब 'उर्दू – द बेस्ट स्टोरीज़ ऑफ़ आवर टाइम्स' के शुरुआती पन्नों में हिंदुस्तान में उर्दू के हाल पर सवाल तो उठाती हैं, मगर साथ-साथ हमको आश्स्वत भी करती हैं कि यहाँ उर्दू आज भी एक जीती-जागती, फलती-फूलती भाषा है। सादत हसन मंटो, इस्मत चुगताई, प्रेमचंद, और राजिंदर बेदी जैसे दिग्गज उर्दू लघु-कथा के लेखकों की दुनिया से आगे ले चलती, इस किताब में प्रस्तुत लघु-कहानियाँ मुख्यतः १९९० के बाद छपी हैं। इन कहानियों को चुना, और उनका अंग्रेज़ी में अनुवाद किया है, डॉ जलील ने। प्रेम व टूटे दिलों की दास्तान, मौत के साये में जी रहे लोग, भुखमरी या दंगों के खौफ से जूझते लोग, निर्मम शहर में सुख के पल ढूंढते नौजवान – ये सब, और इसके अलावा और बहुत कुछ मिलेगा इस क़िताब के पन्नों में। आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं। 1.  इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर), और फेसबुक पर डॉ रक्षंदा जलील 2. 'उर्दू – द बेस्ट स्टोरीज़ ऑफ़ आवर टाइम्स' अमेज़न पर 3. रक्षंदा जलील द्वारा लिखी गईं अन्य पुस्तकें अमेज़न पर 4.  रहमान अब्बास द्वारा लिखी गईं पुस्तकें अमेज़न पर (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)
एपिसोड 10: अनदर सॉर्ट ऑफ़ फ्रीडम – गुरचरन दास
01-12-2023
एपिसोड 10: अनदर सॉर्ट ऑफ़ फ्रीडम – गुरचरन दास
अगर आप की माँ आपसे कहती हों, बेटा, मेक अ लिविंग, मतलब अच्छा खाओ-कमाओ और इज़्ज़त-हैसियत के साथ जियो। और, उसके विपरीत, आपके पिता जी आपसे कहते हों, बेटा, मेक अ लाइफ, मतलब सार्थक ज़िन्दगी जियो, पैसे और प्रतिष्ठा के पीछे मत भागो। तो आप क्या करेंगे? अगर आप गुरचरन दास हैं तो आप दोनों चीज़ करते हैं। व्यस्क ज़िन्दगी के पहले तीन दशकों में मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करके एक बेहद सफल करियर बनाते हैं। फिर ५२ साल की उम्र से एक लोकप्रिय लेखक और बुद्धजीवी के रूप में जाने जाते हैं। आइये सुनते हैं, गुरचरन दास के साथ उनके रोचक संस्मरण, अनदर सॉर्ट ऑफ़ फ्रीडम यानी, एक अलग किस्म की आज़ादी, पर एक चर्चा। (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।) गुरचरन दास ट्विटर, फेसबुक, लिंक्ड इन पर अनदर सॉर्ट ऑफ़ फ्रीडम अमेज़न परगुरचरन दास द्वारा लिखी गईं अन्य पुस्तकें अमेज़न पररिमेम्बरेंस ऑफ़ थिंग्स पास्ट, लेखक मार्सेल प्रूस्ट ‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।
एपिसोड 9: 'टाल टेल्स बाय अ स्माल डॉग' – ओमैर अहमद
16-11-2023
एपिसोड 9: 'टाल टेल्स बाय अ स्माल डॉग' – ओमैर अहमद
दिल्ली से पूरब की ओर की ट्रेन या बस पकड़ने पर कानपूर-लखनऊ के आस-पास पहुँचने पर एक बॉर्डर आता है, मैप पर नहीं दिखता है -- 'मैं' और 'हम' का बॉर्डर। इस सीमा को पार करने के बाद लोग 'मैं' की जगह 'हम' का प्रयोग करने लगते हैं और आप जान जाते हैं कि अब आप उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग को छोड़ कर राज्य के पूर्वी भाग में आ गए हैं। लखनऊ, कानपूर, बनारस और ईलाहबाद के अलावा ये क्षेत्र गोरखपुर जैसे अन्य छोटे शहरों का भी है। अपनी कहानियों की किताब 'टाल टेल्स बाय अ स्माल डॉग' में ओमैर अहमद गोरखपुर की संकरी गलियों और बीते हुए वक़्त में टहलते-घूमते हुए, यहाँ के बाशिंदो की दास्ताँ का बयान करते हैं। आइये सुनते हैं, ओमैर अहमद के साथ उनकी नई कहनी-संग्रह पर एक चर्चा। (आप शो नोट्स sambandh-kakeki.com पर भी देख सकते हैं।) ओमैर अहमद द्वारा लिखी गईं पुस्तकें -- टाल टेल्स बाय अ स्माल डॉग जिमी द टेररिस्ट द स्टोरी टेलर्स टेल एनकाउंटर्स द किंगडम ऐट द सेंटर ऑफ़ द वर्ल्ड -- जरनीज़ इंटू भूटान
एपिसोड 8: 'द ब्रोकन स्क्रिप्ट' – स्वप्ना लिडल
01-11-2023
एपिसोड 8: 'द ब्रोकन स्क्रिप्ट' – स्वप्ना लिडल
ईस्ट इंडिया कंपनी ने ११ सितम्बर सन १८०३ में पटपड़गंज की लड़ाई में मराठा ताकतों को हरा कर दिल्ली और उसके आसपास के छेत्रों पर कब्ज़ा पा लिया और इसके साथ ही दिल्ली के इतिहास में अंग्रेजी हुकूमत का दौर आरम्भ हुआ। एक तरफ लाल किले पर तख्तनशीन मुग़ल बादशाह शाह आलम, अकबर और बहादुर शाह ज़फर, और एक तरफ डेविड ऑक्टरलोनी, चार्ल्स मेटकाफ, और विलियम फ़्रेज़र जैसे अंग्रेजी रेजिडेंट हुक्मरान। एक तरफ मिर्ज़ा ग़ालिब, मोमिन, और ज़ौक़, तो एक तरफ देल्ही कॉलेज से जुड़े गणितज्ञ मास्टर राम चन्दर, और विद्वान सर सय्यद अहमद खान। नए स्कूल और कॉलेज, ज्ञान-विज्ञान, प्रिंटिंग प्रेस, टेलीग्राफ, और अख़बार की दिल्ली में मध्यकालीन और आधुनिक युगों के टकराव का बयान है, स्वप्ना लिडल की किताब 'द ब्रोकन स्क्रिप्ट'। (आप शो नोट्स sambandh-kakeki.com पर भी देख सकते हैं।) फेसबुक पर स्वप्ना लिडल इंस्टाग्राम पर स्वप्ना लिडल स्वप्ना लिडल द्वारा लिखी गयी पुस्तकें -- द ब्रोकन स्क्रिप्ट फोर्टीन हिस्टोरिक वॉक्स ऑफ़ डेल्ही शाहजहानाबाद – मैपिंग अ मुग़ल सिटी चांदनी चौक – द मुग़ल सिटी ऑफ़ ओल्ड डेल्ही कनॉट प्लेस एंड द मेकिंग ऑफ़ न्यू डेल्ही द टू डेल्हीस – ओल्ड एंड न्यू
एपिसोड 7: अक्रॉस द यूनिवर्स -- द बीटल्स इन इंडिया - अजोय बोस
14-10-2023
एपिसोड 7: अक्रॉस द यूनिवर्स -- द बीटल्स इन इंडिया - अजोय बोस
जॉन लेनन, पॉल मक्कार्टनी, जॉर्ज हैरिसन, रिंगो स्टार -- क्या आज से ५०० साल बाद, एक आम इंसान रॉक म्यूजिक के बैंड 'द बीटल्स' के सदस्यों का नाम से वाकिफ होगा? शायद ये सवाल इतना अटपटा भी नहीं है। ये तो हक़िकत है कि आज एक सत्रह साल का युवक बीटल्स के गानों को सुन के ठीक उसी तरह झूमता है, जिस तरह ६० साल पहले उसके दादा-दादी इन्हीं गानों को सुन के झूमा करते थे। महज २५ साल के उम्र में इंग्लैंड के लिवरपूल शहर के ये चार लड़के शायद इतनी शोहरत और धन-दौलत को संभाल नहीं पा रहे थे और चैन व तठस्थता की खोज ने उनको हिन्दू धर्म और अध्यात्म की ओर खींचा। वे महर्षि महेश योगी के निमंत्रण पर उनके ऋषिकेश स्थित आश्रम गए। आश्रम मैं क्या हुआ इसका विवरण मिलेगा आपको अजोय बोस की पुस्तक 'अक्रॉस द यूनिवर्स -- द बीटल्स इन इंडिया' में। सुनिए अजोय के साथ बीटल्स और महर्षि महेश योगी पर एक दिलचस्प चर्चा।    (आप शो नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।) फेसबुक पर अजोय बोस ट्विटर पर अजोय बोस इंस्टाग्राम पर अजोय बोस अजोय बोस द्वारा लिखी गईं पुस्तकें – अक्रॉस द यूनिवर्स -- द बीटल्स इन इंडिया बहनजी -- अ पोलिटिकल बायोग्राफी फॉर रीज़न्स ऑफ़ स्टेट -- डेल्ही अंडर एमर्जेन्सी अजोय बोस द्वारा निर्देशित बीटल्स पर फिल्म – द बीटल्स एंड इंडिया
एपिसोड 6: 'अमंग द चैटराटी' – कनिका गहलौत
30-09-2023
एपिसोड 6: 'अमंग द चैटराटी' – कनिका गहलौत
साल १९९९, अप्रैल महीने का आखिरी दिन -- दिल्ली में, क़ुतुब मीनार से सटे हुए, टामारिंड कोर्ट नाम के रेस्त्रां में एक पेज-३ पार्टी चल रही थी। पार्टी में, जेसिका लाल जो कभी फैशन-मॉडल हुआ करती थीं, 'सेलिब्रिटी बारटेंडर' बनी हुई थीं। रात के दो बजे, जब जेसिका ने एक नेता जी के लड़के को ड्रिंक्स देने से इंकार कर दिया तो उसने गोली चला कर जेसिका को वहीं मार डाला। इस सनसनीखेज हत्याकाण्ड को कल्पित रूप देते हुए, पत्रकार कनिका गहलौत ने अपने अंग्रेज़ी उपन्यास 'अमंग द चैटराटी' की शुरुआत की है। २००२ में प्रकाशित, दिल्ली की सेलिब्रिटी, फैशन, राजनीती, और पत्रकारिता की दुनिया से जुड़ी हुए असली हस्तियों और वास्तविक घटनाओं पर आधारित ये उपन्यास, छपने के बाद ख़ासे चर्चे में रही। आइये किताब के छपने के बीस साल पश्चात, सुनते हैं कनिका के साथ उनके उपन्यास पर एक चर्चा।   कनिका का 'X' (ट्विटर) हैंडल -- @kanikagahlaut  अमंग द चैटराटी ऐमज़ॉन पर उपलब्ध है
एपिसोड 5: 'ज़िक्र -- इन द लाइट एंड शेड ऑफ़ टाइम' - मुज़फ्फर अली
15-09-2023
एपिसोड 5: 'ज़िक्र -- इन द लाइट एंड शेड ऑफ़ टाइम' - मुज़फ्फर अली
एडवरटाइजिंग के क्षेत्र में अफ़सर, चित्रकार, फिल्म निर्माता, फैशन डिज़ाइनर, सूफी-संगीत समारोह के आर्गेनाइजर, सूफी भक्त, शेरोशायरी के आशिक़, अवध के तालुकदार खानदान के वारिस – मुज़फ्फर अली ये सब कुछ हैं। अगर इन्होंने अपनी ज़िन्दगी के लम्बे सफर में बहुत कुछ देखा है, तो वो इसलिए क्योंकि इन्होंने बहुत कुछ किया, और इसलिए भी क्योंकि इन्होंने बहुत कुछ करने की कोशिश की। ये बात समझ में आती है इनके आत्मकथा, 'ज़िक्र - इन द लाइट एंड शेड ऑफ़ टाइम' को पढ़ के। सुनिए, मुज़फ्फर अली के  साथ उनकी आत्मकथा पर एक चर्चा। (आप शो नोट्स sambandhkakeki.com पर भी देख सकते हैं।) इंस्टा पर मुज़फ्फर अली मुज़फ्फर अली द्वारा लिखी गईं पुस्तकें — नॉन फिक्शन ज़िक्र मुज़फ्फर अली के कुछ चहेते गीत -- फिल्म ‘अभी ना जाओ छोड़कर’ का गीत, ‘अभी ना जाओ छोड़कर’  फिल्म ‘रज़िया सुल्तान’ का गीत, ‘ऐ दिल-ए-नादाँ’ फिल्म ‘उमराओ जान’ का गीत, ‘ये क्या जगह है दोस्तों’
एपिसोड 4: 1984 – जॉर्ज ऑरवेल, हिंदी अनुवाद – अभिषेक श्रीवास्तव
31-08-2023
एपिसोड 4: 1984 – जॉर्ज ऑरवेल, हिंदी अनुवाद – अभिषेक श्रीवास्तव
'बिग ब्रदर इज़ वाचिंग यू' यानी 'बड़े भइया आपको देख रहे हैं -- आज  जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास '१९८४' की ये लाइन पुरे विश्व में एक चेतावनी के रूप में जानी जाती है। विचार, भाषा, सामाजिक और राजनैतिक संरचना -- इन सब के सम्बन्धो को एक भयावह, व तकनिकी रूप से उन्नत, आने-वाले कल में चित्रार्थ करने के लिए १९४८ में छपा ये उपन्यास आज भी दुनिया भर में पढ़ा जाता है। सुनिए '१९८४' पर एक चर्चा अभिषेक श्रीवास्तव के साथ जिन्होंने इस उपन्यास का हिंदी में अनुवाद किया है। (आप शो नोट्स sambandhkakeki.com पर भी देख सकते हैं।) फ़ेसबुक पर अभिषेक श्रीवास्तव 1984 (हिंदी अनुवाद) 1984 (अंग्रेज़ी में)                       जॉर्ज ऑरवेल द्वारा लिखी गईं पुस्तकें, अमेज़न वेबसाइट पर अभिषेक श्रीवास्तव द्वारा लिखी गईं पुस्तकें – नॉन फिक्शन -- आम आदमी के नाम पर आम आदमी दे नाम उट्टे देशगाँव कच्छ कथा
एपिसोड 3: द पॉपुलेशन मिथ - इस्लाम, फैमिली प्लानिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया - डॉ. एस. वाई. कुरैशी
13-08-2023
एपिसोड 3: द पॉपुलेशन मिथ - इस्लाम, फैमिली प्लानिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया - डॉ. एस. वाई. कुरैशी
'भारत के मुसलमानों की जनसंख्या तेज गति से बढ़ रही है और इससे देश को खतरा है।' ये बात अक्सर सुनने को मिलती है। मगर जो 'मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर' प्रायः सांप्रदायिक तनाव और भय का कारण बन जाता है, उसकी सच्चाई क्या है? तथ्य और आंकड़ों के माध्यम से ये बात समझाते हैं, भारत के भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस. वाई. कुरैशी अपनी पुस्तक 'द पॉपुलेशन मिथ' में। सुनिए डॉ. कुरैशी के साथ इस विवादास्पद मुद्दे पर एक रोचक  चर्चा। (आप शो नोट्स sambandhkakeki.com पर भी देख सकते हैं।) ट्विटर पर डॉ. एस. वाई. कुरैशी डॉ. एस. वाई. कुरैशी  द्वारा लिखी गईं पुस्तकें – नॉन फिक्शन द पॉपुलेशन मिथ जनसंख्या का मिथक ऐन अनडोक्यूमेन्टेड वंडर लोकतंत्र के उत्सव की अनकही कहानी द ग्रेट मार्च ऑफ़ डेमोक्रेसी हरयाणा रीडिस्कवर्ड    हाली कवी एक रूप अनेक ओल्ड देल्ही — लिविंग ट्रेडिशंस सोशल मार्केटिंग फॉर सोशल चेंज, १९९६ प्रकाशक – अजंता बुक्स इंटरनेशनल, मेरठ, उत्तर प्रदेश -- २५० ००२
एपिसोड 2: शैडो सिटी – अ वुमन वॉक्स काबुल - तरन खान
31-07-2023
एपिसोड 2: शैडो सिटी – अ वुमन वॉक्स काबुल - तरन खान
वर्ष २००६, अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान हुकूमत को गिरे हुए पाँच साल हो चुके हैं — तरन खान पहली बार हिंदुस्तान से अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पहुँचती हैं तो उनको लगता है कि वे एक अजनबी शहर में आयी हैं, और साथ-साथ यह भी लगता है कि ऐसे शहर में आई हैं जिससे उनका पुराना परिचय हो। काबुल में उनकी पहचान शायरों, फिल्म निर्माताओं, पत्रकारों और शहर के अन्य बाशिंदो से होती है। वक़्त के साथ, वे पाती हैं कि उनकी कल्पना के शहर और उनकी हकीकत के शहर में फ़र्क़ है। आइये सुनते हैं, तरन खान के साथ उनकी किताब 'शैडो सिटी -- अ वुमन वॉक्स काबुल' पर एक चर्चा।       (आप शो नोट्स, sambandhkakeki.com पर भी देख सकते हैं।) इंस्टाग्राम पर तरन खान तरन खान द्वारा लिखी गईं पुस्तक — नॉन फिक्शन शैडो सिटी – अ वुमन वॉक्स काबुल   पॉडकास्ट में चर्चित अन्य किताबें -- नो गुड मेन अमंग द लिविंग -- अमेरिका, द तालिबान, एंड द वॉर थ्रू अफ़ग़ान आईज, लेखक आनंद गोपाल   तरन के दो चहेते गीत फिल्म काबुलीवाला का गीत, ऐ मेरे प्यारे वतन अहमद ज़हीर का गीत, लैली लैली जान ‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।